
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक कूटनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। शुक्रवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीक्रेट मीटिंग की थी। अब इसी कड़ी में सोमवार को ट्रंप की मुलाक़ात होने जा रही है यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से।
वॉशिंगटन में होगी ट्रंप-ज़ेलेंस्की मीटिंग, बड़े-बड़े नेता भी होंगे शामिल
इस हाई-प्रोफाइल मीटिंग का आयोजन व्हाइट हाउस में किया जा रहा है, जहाँ मौजूद रहेंगे कई यूरोपीय दिग्गज नेता और नेटो के अधिकारी।
बैठक में कौन-कौन होगा शामिल:
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर
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इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी
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जर्मनी के चांसलर फ़्रेडरिक मर्ज़
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फ़िनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर स्टब
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
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नेटो के महासचिव मार्क रुट
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यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन
ट्रंप-पुतिन मीटिंग का प्रभाव: अब क्या बदल सकता है?
ट्रंप और पुतिन की अलास्का बैठक को वैश्विक कूटनीति में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है। हालांकि मीटिंग की डिटेल्स सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इसमें यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की संभावनाओं, सेनाओं की स्थिति और NATO के विस्तार जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

अब ज़ेलेंस्की से ट्रंप की बात:
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क्या अमेरिका मध्यस्थ बनेगा?
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क्या रूस-यूक्रेन युद्धविराम की दिशा में पहला क़दम है?
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क्या यूरोपीय नेताओं के साथ मीटिंग से कोई संयुक्त प्रस्ताव आएगा?
यूरोप की भूमिका: एकजुटता या अलगाव?
इस मीटिंग में यूरोपीय देशों की भागीदारी यह संकेत देती है कि यूरोप अब कूटनीतिक समाधान की ओर देख रहा है, सैन्य टकराव की बजाय।
नेटो और ईयू दोनों की मौज़ूदगी ट्रंप की पहल को गंभीरता प्रदान कर रही है।
ट्रंप की रणनीति या चुनावी स्टंट?
2024 के अमेरिकी चुनावों के नज़दीक आते ही ट्रंप की गतिविधियाँ और भी तेज़ हो गई हैं। पुतिन और ज़ेलेंस्की दोनों से मीटिंग कर के वह खुद को एक ग्लोबल शांति-स्थापक के तौर पर पेश कर रहे हैं।
क्या यह शांति की पहल है या एक चुनावी रणनीति? जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेगा।
क्या वॉशिंगटन से निकलेगा शांति का कोई फार्मूला?
एक ओर जहां पुतिन और ट्रंप की मुलाक़ात ने हलचल मचा दी, वहीं अब ज़ेलेंस्की से ट्रंप की बातचीत पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं। यूरोपीय नेताओं की उपस्थिति इस बातचीत को और भी अहम बनाती है। आने वाले समय में यह मीटिंग वैश्विक राजनीति का रुख बदल सकती है — युद्ध से शांति की ओर।
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